ई न्यूज पंजाब, लुधियाना अमृतवाणी सत्संग सभा में श्रद्धेय श्री नरेश सोनी जी (भाई साहिब) ने पूजनीय गुरुजनों से सभी साधकों के लिये आशीर्वाद और उन का मार्ग दर्शन माँगा। सोनी जी ने कहा कि अमृतवाणी जी के नित्य पाठ से वाधा विघ्न दूर हो जाते है। मनोबल ऊंचा हो जाता है। मन से अशांति दूर होती है और शांति आती है। हमें राम नाम का अधिक से अधिक जाप करना है और प्रभु से राम नाम का भरोसा माँगना है। यह विश्वास रखना है कि भरोसे और भाव से राम नाम सिमरन से सभी दुखों का निवारण होता है और आत्मा को शांति मिलती है। हम कभी कभी धर्म में अधर्म देखने लग जाते हैं। वहमों में पड़ जाते हैं। उलझन में आ जाते हैं। उन्होंने ने श्री भक्ति प्रकाश जी में से धर्म के दस लक्षण का वर्णन किया और कहा कि हमें अपने व्रत और दिए वचनों को सुदृढता से निभाना चाहिए। दूसरों के जाने अनजाने में हुए अपराधों को क्षमा कर देना चाहिए। अपनी वाणी को हमे वश में रखना है। कभी भी गलत और कड़वा नही बोलना। हमें किसे के अधिकार को छीनना नही चाहिए। हमें तन और मन को पवित्र रखना चाहिए। अपनी इन्द्रियों को सयम में रखना चाहिए। अपनी बुद्धि नाम सिमरन, सत्संग और शुभ कर्मों में लगानी चाहिए। हमें मन को राम नाम सिमरन और सत्संग में लगाना है और शुभ विचार ग्रहण करने हैं। हमें सत्य का पालन करना है और असत्य से दूर होना है। हमें क्रोध से बचना है। इन धर्म के दस लक्षणों को जीवन में धार कर हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। जो मनुष्य क्षमाशील है, जिसका अपनी वाणी पर संयम है व् किसी का अधिकार नहीँ छीनता,वही मनुष्य धर्म की ओर बढ़ता है। राम नाम की पूँजी उसे ही मिलती है जिसके शुभ कर्म जागृत होते हैं। जिस प्रकार स्नान से तन की शुद्धि होती है उसी प्रकार मन की शुद्धि सत्संग में जाने से होती है। यह जग एक मेला है। हर व्यक्ति अपनी अपनी रूचि अनुसार कर्म करता है, परंतु मानव जन्म केवल उस का ही सफल होता है जो सत्संग में जाकर संतों के प्रवचनों का श्रवण और मनन करता है। मनुष्य को जीवन में नाम की कमाई करनी चाहिए। अज्ञानी मनुष्य सांसारिक कार्यों में डूबा हुआ, आलस्य व प्रमाद में रत पतन की ओर जाता है। इस मानव जीवन का एक एक पल अनमोल है। इस लिए हमने इस जीवन शुभ कर्मों में लगाना है। हमें कदम कदम पर प्रलोभन मिलेंगे, हमें उन से भी बचना है। इस जग में दूसरों की चमक दमक देख कर व्याकुल नही होना बल्कि मन में संतोष रखना है। त्यौहार के दिनों में अपनी चादर देख कर पैर पसारने है। सन्तोषी मनुष्य अपनी रूखी सूखी में भी प्रसन्न रहता है वहीं लालची मनुष्य को छपन्न भोग भी स्वाद व रस नहीं देते ।एक लालची व्यक्ति को यदि संसार की सारी दौलत भी मिल जाये तो भी वह संतुष्ट नही हो सकता। प्रभु कृपा के बिना सब धन दौलत व्यर्थ है। धैर्य, विश्वास व सन्तोष से ही तृप्ति मिलती है। मन फिरने से ही दिन फिर जाते हैं। आदरणीय भाई साहिब जी ने सूचित किया कि 07 नवम्बर 2019 वीरवार पूज्य माँ श्री रेखा जी महाराज के जन्म दिवस पर गोहाना में विशेष सत्संग प्रातः 10-30 बजे से 12.00 बजे तक होगा।
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Yashpal Sharma (Editor)