Yashpal Sharma, Ludhiana पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और दयानंद मेडिकल कॉलेज के बीच में सेटिंग का खेल शुरू होता दिखाई दे रहा है। बड़ी बात है कि ई न्यूज़ पंजाब वेब चैनल की ओर से यह खुलासा किया गया था कि दयानंद मेडिकल कॉलेज सिविल लाइंस की ओर से अभी तक पीपीसीबी से किसी भी तरह की कंसेंट नहीं ली। जिसमें एयर,वाटर बायोमेडिकल और हजार्ड वेस्ट की कंसेंट नहीं ली गई है और पीपीसीबी अफसरों के आशीर्वाद से अंदर खाते बिना कंसेंट के ही उक्त मेडिकल कॉलेज को चलाया जा रहा है। हालांकि अभी तक ई न्यूज़ वेब चैनल को पीपीसीबी के अफसर कोई भी संतोषपूर्ण जवाब नहीं दे पाए हैं और बोर्ड अफसर अभी तक यह भी खुलासा नहीं कर पाए हैं कि दयानंद मेडिकल कॉलेज के पास कंसेंट है या नहीं और और अगर नहीं है तो कब से यह कंसेंट नहीं ली गई। लेकिन अब यह घोटाले का पूरा खेल पिटारे से बाहर आने के बाद इसका इंपैक्ट सामने आता दिखाई देने लगा है। बताया जाता है कि पीपीसीबी के एसडीओ की ओर से दयानंद मेडिकल कॉलेज से डिस्चार्ज का सैंपल भरा जा चुका है और अब करोड़ों रुपए की कंसेंट का भुगतान कैसे करना है, इसको लेकर भी डीएमसी हॉस्पिटल की मैनेजमेंट के आला अब बोर्ड के आला अफसरों से संपर्क में है। 300 फीसदी जुर्माने के साथ करना होगा कंसेंट का भुगतान बताया जाता है कि दयानंद मेडिकल कॉलेज को पीपीसीबी से कंसेंट लेने को साल 1992 से लेकर मौजूदा साल तक की एयर व वाटर की कंसेंट हासिल करने को लगभग 300 फीसदी जुर्माने के साथ भुगतान करना होगा जो कि राशि लगभग 3 करोड़ से अधिक की बन सकती है । हालांकि इसके अलावा पीपीसीबी को बायो मेडिकल वेस्ट और हजार्ड वेस्ट की कंसेंट के लिए भी लाखों रुपए अदा करने होंगे। लेकिन अब सवाल खड़ा यह होता है कि जब पंजाब के अन्य हिस्सों में मेडिकल कॉलेज की ओर से पीपीसीबी से कंसेंट लेकर उन्हें चलाया जा रहा है तो अभी तक दयानंद मेडिकल कॉलेज जो कि पंजाब का काफी पुराना मेडिकल कॉलेज है, वह अब तक कैसे बिना पीपीसीबी की कंसेंट के चलाया जा रहा था। सूत्र यह भी बताते हैं कि डीएमसी हॉस्पिटल की ओर से पीपीसीबी के अफसरों को इलाज की भी बड़ी सहूलियत फ्री में दी जाती थी और इसके कारण भी कभी दयानंद मेडिकल कॉलेज की कंसेंट की ओर ध्यान नहीं दिया गया। अगर एनवायरमेंट क्लियरेंस की जांच हुई तो प्रॉसीक्यूशन में भी फंस सकती है मैनेजमेंट अगर दयानंद मेडिकल कॉलेज यानी कि पुराने डीएमसी हॉस्पिटल कॉलेज की ओर से पिछले करीब सात आठ सालों में दयानंद मेडिकल कॉलेज की पुरानी जर्जर बिल्डिंगस को गिरकर खड़ी की गई नई नवेली बिल्डिंगों के कवर एरिया को जांचा जाए तो दयानंद मेडिकल कॉलेज एनवायरमेंट क्लीयरेंस जो की 20000 स्क्वेयर मीटर तक का पैमाना तह है, के घेरे में भी आ सकता हैं। अगर जांच में इस कंस्ट्रक्शन का एरिया 20000 स्क्वेयर मीटर से अधिक पाया जाता है, तो यह एनवायरमेंट की वायलेशन होगी और इसका खामियाजा डीएमसी मैनेजमेंट को प्रॉसीक्यूशन के तौर पर झेलना पड़ सकता है।
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Yashpal Sharma (Editor)