2008 में जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) के रूप में बासमती चावल के पंजीकरण के बाद, पंजाब राज्य सहित बासमती चावल का निर्यात 2023-24 में 106 देशों से बढ़कर 150 देशों तक पहुंच गया है। इसके अलावा, बासमती चावल का कुल निर्यात भी 2009-10 में 2.01 मिलियन मीट्रिक टन (यूएसडी 2.297 बिलियन) से बढ़कर 2023-24 में 5.24 मिलियन मीट्रिक टन (यूएसडी 5.83 बिलियन) हो गया है। सऊदी अरब, इराक, ईरान, यमन, यूएई, यूएसए, यूके, कुवैत, ओमान और कतर भारत (पंजाब सहित) से बासमती चावल के शीर्ष दस निर्यात गंतव्य हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा के चल रहे शीतकालीन सत्र में लुधियाना से सांसद (राज्यसभा) संजीव अरोड़ा द्वारा पूछे गए ‘पंजाब से बासमती चावल के निर्यात’ पर एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी। भारत में बासमती चावल के लिए डेसिग्नेटेड जीआई क्षेत्र पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश (30 जिले), उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर (जम्मू में दो जिले) और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली हैं।
आज यहां एक बयान में अरोड़ा ने कहा कि मंत्री ने अपने उत्तर में आगे बताया कि एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फ़ूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीइडीए), जो वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक सांविधिक निकाय है, को भारत में या भारत के बाहर बासमती चावल के संबंध में बौद्धिक संपदा अधिकारों के पंजीकरण और संरक्षण का अधिकार प्राप्त है।
भारत में बासमती चावल के लिए जीआई 26 नवंबर 2008 से एपीइडीए द्वारा प्राप्त किया गया था। एपीइडीए द्वारा भारत और दुनिया में बासमती चावल के जीआई स्टेटस की रक्षा के लिए दुनिया भर में विभिन्न कानूनी कदम उठाये जा रहे हैं।
एपीइडीए ने 20 देशों में बासमती चावल के लिए सफलतापूर्वक जीआई प्राप्त किया है और 9 देशों में सर्टिफिकेशन मार्क्स प्राप्त किए हैं। 34 देशों में जीआई/सर्टिफिकेशन के पंजीकरण से संबंधित कार्यवाही चल रही है।
इंफ्रिंजिंग मार्क्स को पंजीकरण प्राप्त करने से रोकने तथा बासमती नाम और लोगो के अनधिकृत उपयोग को रोकने के लिए आईपी कार्यालयों और न्यायालयों के समक्ष कानूनी नोटिस और कार्रवाई चल रही है। आज तक बासमती चावल के लिए सभी महाद्वीपों के 50 देशों में इंफ्रिंजिंग ट्रेडमार्क के पंजीकरण के प्रयासों के 1200 से अधिक मामलों को रोका गया है।
मंत्री ने अपने उत्तर में आगे बताया कि इन पहलों ने पंजाब सहित वैश्विक बाजारों में बासमती चावल की स्थिति को मजबूत करने में मदद की है।
सरकार ने एपीइडीए और इंडियन कौंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के माध्यम से पंजाब सहित सभी बासमती चावल किसानों और निर्यातकों को वैश्विक मूल्य में उतार-चढ़ाव, व्यापार बाधाओं और गुणवत्ता मानकों जैसी चुनौतियों पर काबू पाने में सहायता के लिए कुछ बड़े कदम उठाए हैं। इन कदमों के बारे में विस्तार से बताते हुए मंत्री ने अपने जवाब में बताया कि एपीइडीए की वित्तीय सहायता योजना के तहत पंजाब के बासमती चावल निर्यातकों सहित एपीइडीए के अनुसूचित उत्पादों के निर्यातकों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। गुलफूड दुबई, एसआईएएल पेरिस, एएनयूजीए जर्मनी आदि जैसे प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में बासमती चावल निर्यातकों की भागीदारी को सुविधाजनक बनाना और समर्थन देना।
बासमती चावल के प्रचार-प्रसार के लिए वैश्विक अभियान, ताकि विश्व भर में इसके बाजार को व्यापक और गहरा बनाया जा सके। डब्ल्यूटीओ सहित विभिन्न मंचों और द्विपक्षीय स्तर पर आयातक देशों द्वारा गुणवत्ता मानकों के माध्यम से लगाए गए व्यापार अवरोधों के समाधान की दिशा में निरंतर प्रयास।
सभी बासमती चावल किसानों और निर्यातकों की सहायता के लिए उठाए गए प्रमुख कदमों में बासमती चावल की गुणवत्ता आश्वासन और प्रमाणीकरण भी शामिल है, जिसके तहत एपीइडीए के तहत बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (बीईडीएफ) द्वारा डीएनए प्रोफाइलिंग, कीटनाशक अवशेष परीक्षण और भौतिक मापदंडों के आधार पर गुणवत्ता परीक्षण के लिए एक आधुनिक प्रयोगशाला स्थापित की गई है। स्टेट एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटीज (एसएयू) और आईसीएआर संस्थानों के सहयोग से कार्यशालाओं, संगोष्ठियों और प्रशिक्षणों के माध्यम से किसानों और निर्यातकों की क्षमता निर्माण भी किया जाता है। आईसीएआर ने पैदावार बढ़ाने और रोगों के प्रति बासमती चावल की बेहतर प्रतिरोधक क्षमता सुनिश्चित करने के लिए बासमती चावल की उन्नत किस्में विकसित की हैं।
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Yashpal Sharma (Editor)